समाज के लिए भजन
सुखी बसे संसार सब दुखिया रहे न कोय
यह अभिलाषा हम सब की , भगवन पूरी होय
विद्या बुध्दि तेज बल सबके भीतर होय
दूध पूत धन-धान्य से वंचित रहे न कोय
आपकी भक्ति प्रेम से मन होवे भरपूर
राग-द्वेष से चित्त मेरा कोसों भागे दूर
मिले भरोसा आपका, हमें सदा जगदीश
आशा तेरे धाम की, बनी रहे मम ईश
हमें बचाओ पाप से , करके दया दयाल
अपना भक्त बनाय कर, हमको करो निहाल
दिल में दया उदारता मन में प्रेम अपार
धैर्य हृदय में धीरता, सबको दो करतार
नारायण तुम आप हो, कर्मफल देनेहार
हमको बुध्दि दीजिए, सुखों के भंडार
हाथ जोड़ विनती करूं सुनिए कृपा निधान
साधु-संगत सुख दीजिए, दया नम्रता दान